Wednesday 5 July 2017

स्नान का वैज्ञानिक महत्व

स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथमे है









सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।




*1*  *मुनि स्नान।*
जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।
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*2*  *देव स्नान।*
जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।
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*3*  *मानव स्नान।*
जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।
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*4*  *राक्षसी स्नान।*
जो सुबह 8 के बाद किया जाता है।

▶मुनि स्नान सर्वोत्तम है।
▶देव स्नान उत्तम है।
▶मानव स्नान समान्य है।
▶राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।
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किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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*मुनि स्नान .......*
👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।
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*देव स्नान ......*
👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।
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*मानव स्नान.....*
👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।
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*राक्षसी स्नान.....*
👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।
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किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।
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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।

*खास कर जो घर की स्त्री होती थी।* चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।
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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।
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*ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।*
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उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।
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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।
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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।
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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।
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आप का भला हो ,आपके अपनों का भला हो।
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मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।
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अपने जीवन को सुखमय बनाये।

जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।


याद रखियेगा !
 *संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।*
*सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए।*
*पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।*
ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।







जवाब:-
अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-
(1)जल
(2) पथ्वी
(3)आकाश
(4)वायू
(5) अग्नि
ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।

5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है
1. श्मशान में
2. अर्थी के पीछे
3. शौक में
4. मन्दिर में
5. कथा में






अच्छी बातें

अकेले हो?
परमात्मा को याद करो ।

परेशान हो?
ग्रँथ पढ़ो ।

उदास हो?
कथाए पढो ।

टेन्शन मे हो?
भगवत गीता पढो ।

फ्री हो?
अच्छी चीजे फोरवार्ड करो
हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......







सूचना
क्या आप जानते हैं ?
हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।

व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।
आरती----के दौरान ताली बजाने से
दिल मजबूत होता है ।









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''कैन्सर"
एक खतरनाक बीमारी है...
बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...
बहुत मामूली इलाज करके इस
बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...

अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...
खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...

''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...

खाने से पहले'पानी 'पीना
अमृत"है...

खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की
''पूजा'' है...

खाना खत्म होने से पहले 'पानी'
''पीना औषधि'' है...

खाने के बाद 'पानी' पीना"
बीमारीयो का घर है...

बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...

ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है...








रोज एक सेब
नो डाक्टर ।

रोज पांच बदाम,
नो कैन्सर ।

रोज एक निबु,
नो पेट बढना ।

रोज एक गिलास दूध,
नो बौना (कद का छोटा)।

रोज 12 गिलास पानी,
नो चेहेरे की समस्या ।

रोज चार काजू,
नो भूख ।

रोज मन्दिर जाओ,
नो टेन्शन ।

रोज कथा सुनो
मन को शान्ति मिलेगी ।।


"चेहरे के लिए ताजा पानी"।

"मन के लिए गीता की बाते"।

"सेहत के लिए योग"।

और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।


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Tuesday 4 July 2017

દેવશયની-દેવપોઢી એકાદશી નું ભાવાત્મક વિવેચન

અષાઢ સુદ એકાદશીને દેવશયની-દેવપોઢી એકાદશી કહે છે. આ દિવસથી ચાર માસ ભગવાન સૂઇ જાય છે.

ત્યારે પ્રશ્ન થાય કે ભગવાન ખરેખર સૂઇ જાય ખરા? અને સૂઇ જાય તો આ સૃષ્ટિનો વ્યવહાર ચાલે નહીં.

વાસ્તવમાં ભગવાન સૂઇ જતા નથી. પણ તેની પાછળ  ભક્તની ભાવના છે.જેમ મને થાક લાગે તો આરામ કરું, સૂઇ જાઉં તેમ મારા ભગવાનને વિશ્વનો વ્યવહાર ચલાવતાં થાક લાગ્યો હશે તેથી ચાર માસ ભગવાન સૂઇ જાય છે તેવી ભક્તની ભાવના છે.                          

વાસ્તવમાં, આ ચાર માસ-ચોમાસામાં ભગવાન સકલ સૃષ્ટિ માટે પાણી તથા અનાજની વ્યવસ્થા કરે છે. ચાર માસ પછી ખેતરમાં અન્ન તૈયાર થાય ત્યારે કૃતજ્ઞ ભાવથી એ અન્ન ભગવાન પાસે મંદિરમાં ધરાવીને કહે છે કે ભગવાન, આ તમારી કૃપાનું ફળ છે. ત્યારે ભગવાન તેને જાણે જવાબ આપતા હોય તેમ કહે છે કે "મને ખબર નથી. હું તો ચાર મહિના સૂઇ ગયો હતો. આ બધો વૈભવ અને સમૃદ્ધિ તારા પરસેવા,પરિશ્રમ અને પુરુષાર્થને આભારી છે. " અહીં સાચા કર્મયોગીને  ભગવાન માર્ગદર્શન આપે છે કે "કર્મ કરો પણ અભિમાન ન કરો.  'મેં કર્યું ' એ ભાવ ન રાખતાં કર્મ કરવામાં હું નિમિત્ત છું. આ ભાવથી જ આધ્યાત્મિક વિકાસ થશે. આ સૃષ્ટિ સુંદર લાગે છે કારણકે સૃષ્ટિકર્તા તેમાં છૂપાઇ ગયો છે. વેદોની રચના કરનાર રૂષિઓએ તેની પાછળ પોતાનું નામ નથી લખ્યું. તેથી વેદો અમર છે. ભગવાન કર્મ કરીને યશ પોતે ન લેતાં, યશ બીજાને આપવાનું સૂચવે છે.                            

તેમ, ભક્ત પરના વિશ્ર્વાસને લીધે ભગવાન સૂઇ જાય છે.સાચો  ભક્ત ભગવાનને કહે છે કે ભગવાન તમે નિરાંતે સૂઇ જાવ. તે દરમ્યાન હું  વ્રતનિષ્ઠ બનીને સતત જાગતો રહીશ.તમારા વિચારો, તમારું જીવન,તમારો પ્રેમ, ઉપકારો  હું  ઘરે ઘરે લઇ જઇને ,આ સૃષ્ટિનું સૌંદર્ય તેમજ સુગંધ વધારતો રહીશ.       તેથી જ કદાચ ચોમાસામાં સૌથી વધુ વ્રતો આવતા હશે.                            

આજના દિવસે ભગવાન પાસે સંકલ્પ લઇએ કે આ ચાર માસ દરમ્યાન,  ભગવાન, તમને ગમે તેવું મારું જીવન બનાવવાનો હું જાગૃત રીતે પ્રયત્ન કરીશ,તમને કેવું જીવન ગમે છે તે હું બીજાને પણ સમજાવીશ. તમે મારા પર વિશ્વાસ રાખીને નિશ્ચિંત બનીને સૂઇ જાવ!

અસ્તુ.

Monday 3 July 2017

देवशयनी एकादशी आयुर्वेद के मत से वैज्ञानिक विवेचन

पुराणों में वर्णन आता है कि भगवान विष्णु इस दिन से चार मासपर्यन्त (चातुर्मास) पाताल में राजा बलि के द्वार पर निवास करके कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इसी प्रयोजन से इस दिन को 'देवशयनी' तथा कार्तिकशुक्ल एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस काल में यज्ञोपवीत संस्कारविवाहदीक्षाग्रहणयज्ञगृहप्रवेश, गोदान, प्रतिष्ठा एवं जितने भी शुभ कर्म है, वे सभी त्याज्य होते हैं। भविष्य पुराणपद्म पुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हरिशयन को योगनिद्रा कहा गया है।
संस्कृत में धार्मिक साहित्यानुसार हरि शब्द सूर्यचन्द्रमावायुविष्णु आदि अनेक अर्थो में प्रयुक्त है। हरिशयन का तात्पर्य इन चार माह में बादल और वर्षा के कारण सूर्य-चन्द्रमा का तेज क्षीण हो जाना उनके शयन का ही द्योतक होता है। इस समय में पित्त स्वरूप अग्नि की गति शांत हो जाने के कारण शरीरगत शक्ति क्षीण या सो जाती है। आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने भी खोजा है कि कि चातुर्मास्य में (मुख्यतः वर्षा ऋतु में) विविध प्रकार के कीटाणु अर्थात सूक्ष्म रोग जंतु उत्पन्न हो जाते हैं, जल की बहुलता और सूर्य-तेज का भूमि पर अति अल्प प्राप्त होना ही इनका कारण है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया। अत: उसी दिन से आरम्भ करके भगवान चार मास तक क्षीर समुद्र में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पुराण के अनुसार यह भी कहा गया है कि भगवान हरि ने वामन रूप में दैत्य बलि के यज्ञ में तीन पग दान के रूप में मांगे। भगवान ने पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढक लिया। अगले पग में सम्पूर्ण स्वर्ग लोक ले लिया। तीसरे पग में बलि ने अपने आप को समर्पित करते हुए सिर पर पग रखने को कहा। इस प्रकार के दान से भगवान ने प्रसन्न होकर पाताल लोक का अधिपति बना दिया और कहा वर मांगो। बलि ने वर मांगते हुए कहा कि भगवान आप मेरे महल में नित्य रहें। बलि के बंधन में बंधा देख उनकी भार्या लक्ष्मी ने बलि को भाई बना लिया और भगवान से बलि को वचन से मुक्त करने का अनुरोध किया। तब इसी दिन से भगवान विष्णु जी द्वारा वर का पालन करते हुए तीनों देवता ४-४ माह सुतल में निवास करते हैं। विष्णु देवशयनी एकादशी से देवउठानी एकादशी तक, शिवजी महाशिवरात्रि तक और ब्रह्मा जी शिवरात्रि से देवशयनी एकादशी तक निवास करते हैं।

गणेश चतुर्थी का वैज्ञानिक एवम लौकिक महत्व

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार  भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है।  ...